पीएम ने सीएम त्रिवेंद्र की थपथपाई पीठ

संकल्प मजबूत हो,इरादों मे दम हो तो कोई काम कठिन नहीं: त्रिवेंद्र

पर्यावरण अनुकूल और सतत विकास का लक्ष्य लेकर चल रही उत्तरखंड सरकार
आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को ज्यादा से ज्यादा सशक्त बनाए जाने की जरूरत

ममता सिंह

देहरादून: उत्तराखंड के चमोली जनपद में हैंगिंग ग्लेशियर टूटने के बाद ऋषि गंगा और धौलीगंगा में आए उफान ने देश ही नहीं, पूरे विश्व को झकझोर कर रख दिया, क्योंकि वर्ष 2013 में केदारनाथ घाटी में आई आपदा का भयावह मंजर अब भी लोगों के जेहन में ताजा है। देखते ही देखते हजारों लोग जिंदा दफन हो गये जिनका आज तक कोई सुराग नहीं मिल पाया, लेकिन चमोली आपदा से निपटने में उत्तराखंड सरकार ने काफी सूझबूझ का परिचय दिया। घटना की सूचना मिलते ही सूबे के मुखिया त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपने सारे कार्यक्रम रद्द कर दिए और तांडव मचा रही जलधाराओं को रोकने की रणनीति को अंजाम देने के लिए खुद घटनास्थल पर पहुंच गए। मुख्यमंत्री के तत्काल प्रभावित क्षेत्रों में पहुंचते ही केंद्र से लेकर राज्य सरकार की सभी मशीनरी हरकत में आ गई। खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उस समय पश्चिम बंगाल में एक चुनावी सभा को संबोधित कर रहे थे लेकिन उनका ध्यान उत्तराखंड में आई आपदा पर ही टिका था। प्रधानमंत्री ने करीब 3 मिनट तक अपने भाषण में उत्तराखंड में आई आपदा और मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का जिक्र किया। प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्री को समय पर राहत और बचाव कार्य शुरू करने के लिए बधाई भी दी। मुख्यमंत्री की नजर हादसे के बाद से ही उफन रही ऋषि गंगा और धौलीगंगा पर टिकी रही। केवल इतना ही नहीं, मुख्यमंत्री ने वहां के हालात को समझने और नियंत्रण करने के मकसद से रात्रि प्रवास भी किया। इस दौरान मुख्यमंत्री निरंतर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के संपर्क में रहे। मोदी और शाह ने भी आपदा ग्रस्त उत्तराखंड की मदद करने में कोई कसर नहीं छोड़ी, जिसका परिणाम आज प्रभावित क्षेत्रों में देखने को मिल भी रहा है। सर्च अभियान शुरू हैै अभी और जारी रहेगा।
दरअसलए, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का उत्तराखंड से विशेष लगाव भी है, मौका मिलते ही केदारनाथ पहुंच जाते हैं और वहां गुफा में ध्यान लगाते हैं, केवल इतना ही नहीं, केदारनाथ धाम का मॉडल कैसा हो,खुद प्रधानमंत्री इसमें रुचि लेते हैं। ठीक इसी तरह से चमोली आपदा में भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के संपर्क में रहे । मुख्यमंत्री की भी नजर केंद्र और राज्य सरकार की एजेंसियों पर टिकी हुई है। मुख्यमंत्री वहां के हालात को सामान्य बनाने की कोशिश में जुटे हुए हैं। दरअसल, मुख्यमंत्री की जमीनी पकड़ काफी तगड़ी है। उन्हें पता है कि भविष्य में किस तरह की यहां दिक्कतें आ सकती हैं। उसको ध्यान में रखकर मुख्यमंत्री ने प्लानिंग भी शुरू कर दी है। प्रभावित परिवारों को समय पर मुआवजा मिले, इसके आदेश भी तुरंत मुख्यमंत्री ने दिये हैं। इसके अलावा स्थानीय लोगों का तत्काल प्रभाव से पुनर्वास किया जाए, इस दिशा में भी मुख्यमंत्री ने काफी तेजी दिखाई है। सबसे बड़ी बात यह है कि इस दिशा में कार्य भी शुरू कर दिए गए हैं।

अध्ययन के लिए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने वैज्ञानिकों की अलग-अलग टीमों के गठन के आदेश भी दिए हैं। मुख्यमंत्री चाहते हैं इन घटनाओं का वैज्ञानिक समाधान किया जाए। उत्तराखंड सरकार की स्पष्ट नीति है कि पर्यावरण भी सुरक्षित रहे और प्रदेश का विकास भी बाधित नहीं हो, इस तरह की आपदा से होने वाले नुकसान को किस तरह से कम किया जाएए इस गंभीर मुद्दे पर तत्कालीन सरकारों ने ध्यान ही नहीं दिया। अब खुद मुख्यमंत्री आपदा को लेकर काफी सजग है और प्लानिंग के तहत ही कार्य भी कर रहे हैं। आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को ज्यादा से ज्यादा सशक्त बनाया जाए। हालांकि, आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने राज्य राज्य के अलग-अलग स्थानों पर ऐसे भूकंप सेंसर लगाने का निर्णय लिया है जिसके लिए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने 45 लाख की राशि जारी करने पर सहमति भी दे दी है। बहरहाल, ऋषि गंगा क्षेत्र में आई त्रासदी के बाद अब भी प्रशासन बाकि शवों की तलाश में जुटा है। आपदा में सड़क संपर्क टूटने से सीमांत क्षेत्र के 13 गांवों के 360 परिवार प्रभावित हुए हैं। जिन्हें तमाम जरूरत की सामग्री, मेडिकल टीम सहित रोजमर्रा का सामन लगातार भेजा जा रहा है। मुख्यमंत्री ने साफ कहा कि ऐसे महत्वपूर्ण कार्यों के लिए फंड की कमी नहीं होगी। मुख्यमंत्री का यह भी कहना है कि संकल्प मजबूत हो, इरादों में दम हो तो कोई भी काम कठिन नहीं होता है। झंझावतें विकास के मार्ग को रोक नहीं सकती है।

कोश्यारी ने सीएम के प्रयासों को सराहा

चमोली आपदा के बाद हालात का जायजा लेने महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी भी देहरादून पहुंचे और सीएम रावत से उनके आवास में भेंट की। उन्होंने आपदा की स्थिति पर चर्चा की और सरकार के प्रयासों को सराहा। उन्होंने मुख्यमंत्री से राज्य से संबंधित कई विषयों और जनपद चमोली के रैणी क्षेत्र में आपदा की स्थिति पर चर्चा की। मुख्यमंत्री रावत ने उन्हें बताया कि आपदा स्थल पर राहत एवं बचाव कार्य तेजी से किए जा रहे हैं।

हरीश रावत भी हुए मुरीद

आपदा के बाद पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत भी अपनी टीम के साथ मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से मिले और राहत और बचाव कार्यों की प्रशंसा की। इस दौरान जलवायु परिवर्तन से हिमालयी क्षेत्रों में आ रहे बदलाव पर चर्चा की गई। बाद में मीडिया से बातचीत करते हुए हरीश रावत ने माना कि त्वरित निर्णय से ही आज वहां जनजीवन सामान्य होने की स्थिति में है । मुख्यमंत्री के घटनास्थल पर तुरंत पहुंचने और रात्रि प्रवास से यह फायदा हुआ कि सरकारी मशीनरी सक्रिय हुई जिसकी वजह से लोगों का मनोबल बढ़ा और तेजी से कार्य हुए।

 

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