Glacier Burst Update: तापमान,आंकड़े और तस्वीरों से खुलेगी त्रासदी की पोल
वैज्ञानिक मूल रूप से पिछले 2 फरवरी से लेकर 7 फरवरी तक के तापमान और आंकड़ों का अध्ययन
देहरादून : ग्लेशियर टूटा या फिर झील बनी या फिर मानवजनित आपदा का शिकार हुआ नंदादेवी बायोस्फीयर रिजर्व का ऋषिगंगा कैंचमेंट के 70 0वर्ग किलोमीटर का एरिया। इन पर विराम लगाने के लिए वाडिया इंस्टीच्यूट के पांच वैज्ञानिकों की टीम ने देर शाम से ही भयावह त्रासदी को समझना शुरू कर दिया है। घटना को परखने गए वैज्ञानिकों ने माना कि एक सप्ताह बाद ही ऋषिगंगा और धौली गंगा पर बने हाइड्रोप्रोजेक्ट के बांध टूटने की असली सच्चाई सामने आएगी।
इन वैज्ञानिकों का कहना है कि घटनास्थल की शुरूआत जहां से हुई है वह घाटी काफी संकरी है। लिहाजा सेटेलाइट द्वारा मिली तस्वीरों,उक्त क्षेत्र में दो मुख्य डाटा सेंटरों और तापमान को लेने के बाद सभी का विशलेषण किया जाएगा। मौजूदा हालात में वैज्ञानिक मूल रूप से पिछले 2 फरवरी से लेकर 7 फरवरी तक के तापमान और आंकड़ों पर अध्ययन करेंगे।
4 फरवरी को नंदादेवी बायोस्फीयर रिजर्व में काफी मूसलाधार बारिश हुई है
शुरूआती दौर में वैज्ञानिकों की मानें तो 4 फरवरी को नंदादेवी बायोस्फीयर रिजर्व में काफी मूसलाधार बारिश हुई है। इसका असर ग्लेशियर पर काफी तगड़ा पड़ा है। टीम के एक सदस्य मनीष महेता का कहना है कि अध्ययन में उनका सर्वाधिक फोकस तापमान पर होगा। क्योंकि पूरे घाटी क्षेत्र में एक सामन तापमान नहीं होता है। वैसे वैज्ञानिक यह मान रहे हैं कि आगामी मार्च में भी इस क्षेत्र में दूसरी टीम प्रभावित क्षेत्रों में जाएगी और आगामी एक माह में इस क्षेत्र में हुए बदलाव की पड़ताल करेगी। जानकारी के मुताबिक वाडिया इंस्टीच्यूट की टीम ने तापमान,आकड़ों और तस्वीरों पर अध्ययन शुरू कर दिया है। करीब एक सप्ताह बाद त्रासदी के बारे में वास्तविक स्थिति का पता चल पाएगा। मौसम खराब हुआ तो अध्ययन में कुछ और ज्यादा समय लग सकता है।