डोबरा-चांठी पुल पर आवाजाही शुरू

….देश का सबसे लंबा सस्पेंशन खुलते ही ठंडी पड़ी राजनीति
…..सीएम ने राज्य स्थापना दिवस के एक दिन पहले किया उद्घाटन

शिवसिंह थलवाल

उत्तरकाशी: टिहरी जिले में बांध प्रभावित क्षेत्र प्रतापनगर और उत्तरकाशी जनपद की गाजणा पट्टी की दो लाख आबादी को जोड़ने के लिए 14 साल में तैयार हुआ देश का सबसे लंबा  का मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने राज्य स्थापना दिवस के ठीक एक दिन पहले उद्घाटन कर जनता को समर्पित कर दिया। पुल से आवागमन शुरू होने से 14 साल से प्रतिक्षारत बांध प्रभावित क्षेत्र की जनता के सपनों में पंख लग गये हैं और  अब बांध की झील बनने के बाद काला पानी कहे जाने वाले क्षेत्र का वनवास खत्म हो गया है। इसके साथ ही वर्षों से इस पुल पर की जा रही राजनीति का भी पटाक्षेप हो गया। हालांकि, आगामी विधान सभा चुनाव में भाजपा, कांग्रेस सहित तमाम लोग इसे अपनी उपलब्धियों में अवश्य गिनायेगी, लेकिन इसके बाद यह मुद्दा बेमानी हो जायेगा।
टिहरी बांध का कार्य टीएचडीसी के सुपुर्द होने पर नब्बे के दशक में बांध कार्य में तेज आई और तमाम आंदोलन के बाद भी पहले काफर बांध और उसके बाद मेन डैम का कार्य शुरू हुआ। इस दौरान भागीरथी और भिलंगना नदी से दो-दो सुरंगें बनाई गईं। बांध कार्य प्रगति होने पर पहले भागीरथी नदी से बनाई गई दो सुरंगों पर शटर डाल कर बंद किया गया। इससे जल भराव होने से टिहरी शहर का कुछ हिस्सा और मोटर पुल कुछ महीनों बाद जलमग्न हो गया। इसके बाद 29 अक्टूबर 2005 को बांध प्रशासन की ओर से भिलंगना नदी से बनाई गई दोनों सुरंगों पर शटर डाल कर दोनों नदी के जल प्रवाह को रोका गया। इसके बाद झील के भरने से टिहरी शहर के साथ ही दोबाटा, सिरांई, उप्पू सिराई, भलिडयाना, छाम, नगुण, नंदगांव, बड़कोट, कंडल आदि कई कस्बे और गांव झील में समाते गये।
बांध प्रभावित क्षेत्र को जोड़ने वाला एकमात्र भल्डियाना पुल के जलमग्न होने से नदी के उस पार की दो लाख से अधिक की आबादी अलग-थलग पड़ गई। झील के भरने से उत्पन्न स्थिति को देखकर जनप्रतिनिधियों के भी होश उड़ गये थे तथा उन्हें तब यह समझ में आने लगा कि यदि पहले किसी मध्य स्थल पर मोटर पुल का निर्माण हो जाता तो संभवतः दो लाख की आबादी को कालापानी जैसे हालत नहीं देखने पड़ते। हालांकि, इससे पहले बांध प्रशासन की ओर से बांध प्रभावित क्षेत्र के लिए 183 करोड़ रुपये का पैकेज स्वीकृत किया गया था और इस पैकेज से स्यांसू और पिपलडाली झूला पुलों का निर्माण शुरू कर दिया गया था। जबकि, जनप्रतिनिधि अपनी राजनीतिक रोटी सेंकते रहे जिसके कारण ही बांध प्रभावित क्षेत्र की जनता को 14 वर्ष के वनवास जैसे हालत झेलने पड़े।
बांध प्रभावित क्षेत्र की जनता की बढ़ती समस्याओं को देखते हुये हालांकि तत्कालीन एनडी सरकार ने भलिडयाना समेत कई स्थानों पर मोटर वोट शुरू की, लेकिन जलभराव के बढ़ते रहने से इससे भी लोगों की समस्याओं का समाधान नहीं हो पाया। टिपरी से मदन नेगी और भल्डियाना से मोटणा रोपवे भी लगाये गये फिर भी समस्या जस की तस रही। कुछ समय बाद पिपल डाली और स्यांसू पुल से छोटे वाहनों का आवागमन शुरू हुआ जिसके बाद लोग इन्हीं पुलों से आवाजाही करते रहे। बांध की झील बनने के बाद प्रतापनगर क्षेत्र में बड़ी बसों और ट्रकों का आना-जाना बंद हो गया जिससे लोगों को भारी आर्थिक नुकसान उठाने के साथ ही दोगुनी-तिगुनी दूरी तय कर जिला मुख्यायल या अन्य स्थानों तक जाना पड़ा।
क्षेत्र की विकट स्थिति को देखते हुये तत्कालीन विधायक फूल सिंह बिष्ट ने डोबरा-चांठी सस्पेंशन पुल स्वीकृत कराया और वर्ष 2006 में इसका डिजायन आईआईटी से पास करवा कर कार्य शुरू कर दिया गया। पुल पर कई वर्षो तक कार्य चलने पर 2010 तक इस पर 139.80 करोड़ खर्च होने के बाद इसका डिजायन ही फेल हो गया। जिसके बाद 2016 में लोनिवि खंड पुनर्वास ने पुल का नया डिजाइन कोरिया की कंपनी योसीन से कराया गया। जिसके बाद पुल के कार्य में गति लाई गई और पहले के मिलाकर पुल निर्माण पर करीब 300 करोड़ रुपये खर्च किये गये। पुल निर्माण को लेकर 14 वर्षों तक खूब राजनीति भी हुई। कांग्रेस, भजपा समेत तमाम लोग एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाते रहे। 2007 से लेकर 2017 के विधान सभा चुनाव और लोकसभा चुनाव में भी डोबरा-चांठी पुल मुद्दा बना रहा, लेकिन वोट पाकर किसी ने भी इसके निर्माण में रुचि नहीं ली। हालांकि, 2017 के बाद पुल निर्माण में काफी गति आई है। डोबरा-चांठी पुल का मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उद्घाटन कर जनता का समर्पित कर दिया है। बावजूद पुल निर्माण का श्रेय लेने के लिए कांग्रेस-भाजपा समेत कई लोगों में होड़ लगी हुई है। पुल निर्माण में हुई देरी के लिए एक-दूसरे पर दोषारोपण किया जा रहा है। कुल मिलाकर, पुल डोबरा-चांटी पुल अब आम जनता के लिए खोल दिया गया है, लेकिन यह पुल एक बार फिर 2022 मे होने वाले विधान सभा चुनाव में चुनावी मुद्दा रहेगा।
कांग्रेस-भाजपा इसे अपनी उपलब्धि मान रही है तथा चुनाव में दोनों पार्टियां इसे अपनी उपलब्धि बताकर वोट मांगने का प्रयास करेगी। लेकिन बांध प्रभावित क्षेत्र की जनता को मालूम है कि यदि नेताओं को जनता की चिंता होती तो इस पुल का निर्माण कई वर्ष पहले हो जाता। डोबरा-चांठी पुल से आवाजाही शुरू होने से बांध प्रभावित प्रतापनगर और गाजणा क्षेत्र की जनता का भगवान राम के वनवास की तरह 14 वर्ष का वनवास अब समाप्त हो गया है। पुल निर्माण के प्रसिद्ध ढोल वादक षिवजनी और उनकी टीम के साथ सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता रहे पूर्व विधायक किशोर उपाध्याय, जोत सिंह बिष्ट, एडवोकेट शांति प्रसाद भट्ट, पत्रकार महिपाल सिंह नेगी, दर्शनी रावत आदि भी पुल के जनता के लिए समर्पित होने पर खुशी जताई है।

बांध प्रभावितों को मिली सौगात

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने गत 8 नवंबर को राज्य स्थापना दिवस पर टिहरी में बहुप्रतीक्षित डोबरा-चांठी पुल का लोकार्पण कर टिहरी वासियों को बड़ी सौगात दी है। इस मौके पर सीएम ने कहा कि 2 करोड़ 95 लाख 92 हजार लागत के 725 मीटर लम्बे इस भारी वाहन झूला पुल का क्षेत्रवासी पिछले 14 वर्षों से इंतजार में थे। पुल पर आवाजाही शुरू होने से अब आवागमन सुविधाजनक होने के साथ ही समय की बचत होगी। पुल लोकार्पण के मौके पर सीएम ने टिहरी जिले के लिए कुल 4 अरब 73 करोड़ 8 लाख 56 हजार की विभिन्न 60 योजनाओं का शिलान्यास एवं लोकार्पण भी किया।
जिन योजनाओं को लोकार्पण और शिलान्यास किया गया है, उनमें 3 अरब 7 करोड़ 83 लाख लागत की 30 योजनाओं का लोकार्पण तथा 1 अरब 2 करोड़ 25 लाख की 30 योजनाओं का शिलान्यास शामिल है। लोकार्पण की गई योजनाओं में 9 योजनाएं लोनिवि, 7 पीएमजीएसवाई, 10 शिक्षा विभाग, 2 पर्यटन एवं 1-1 आयुर्वेदिक व क्रीड़ा विभाग से संबंधित है। जबकि शिलान्यास योजनाओं में 7 लोनिवि, 20 पीएमजीएसवाई, 1 पर्यटन, 1 शिक्षा और 1 उद्यान विभाग से संबंधित है। इस मौके पर सीएम ने इंटर कालेज मजफ के प्रांतीयकरण की घोषणा भी की। सीएम ने कहा कि 42 वर्ग किलोमीटर मे फैली टिहरी झील पूरी दुनिया को आकर्षित करने की क्षमता रखती है। यह टिहरी झील साहसिक पर्यटन का भी केन्द्र बनेगी तथा इसके आस-पास अनेक पर्यटन गतिविधियों की शुरूआत होगी। डोबरा-चांठी पुल के बनने से यह क्षेत्र पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र होगा। कार्यक्रम में कृषि मंत्री सुबोध उनियाल, उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत, सांसद माला राज्यलक्ष्मी शाह, जिला पंचायत अध्यक्ष सोना सजवाण, विधायक विजय सिंह पंवार, धन सिंह  नेगी, शक्ति लाल शाह, राज्यमंत्री अब्बल सिंह बिष्ट, रोशन लाल सेमवाल, महावीर रांगड़, जिलाधिकारी इवा आशीष आदि रहे।

 

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