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Asadhu

‘कहीं पे निगाहें, कहीं पे निशाना’ साधते सीकरी के असाधु और असंत

आलेख : बादल सरोज कुनबे की हड़बड़ी कुछ ज्यादा ही बढ़ी दिख रही है ; उन्मादी ध्रुवीकरण को तेज से तेजतर और उसके तरीकों को अशिष्ट से अभद्रतम तक पहुंचाया जा रहा है। यूपी की फिसलन के बाद बिगड़ा सरोदा संभाले नहीं संभल रहा है ; 'कटेंगे तो बंटेंगे' का फरसा भांजने के बाद भी पूरी आश्वस्ति नहीं हुई – झारखण्ड…
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