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लिखे

लिखे तो होंगे ख़त मुझको !

डा श्रीगोपाल नारसन एडवोकेट ख़त लिखना अब बीते ज़माने की बात हो गई।ख़त दो ही संदेश लाते थे या तो खुशी का या फिर ग़म का।ग़म का संदेश टेलीग्राम से भी आता था,तभी तो टेलीग्राम आते ही किसी अनहोनी की आशंका से हम डर जाते थे।लेकिन हम जिसे प्रेम करते है, उसके प्रति प्रेम अभिव्यक्त करने का सबसे सशक्त माध्यम भी ख़त…
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