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आलेख

संभल : देश को कौन जला रहा है?

आलेख : राजेंद्र शर्मा उत्तर प्रदेश में संभल के दु:खद घटनाक्रम के संबंध में, एक प्रभावशाली राय यह है कि यह दंगा जान-बूझकर शासन के इशारे पर कराया गया था, जिससे एक दिन पहले ही गाढ़े रंग से रेखांकित होकर सामने आये प्रदेश में नौ विधानसभाई सीटों के उपचुनाव में खुली धांंधली के सवालों की ओर से ध्यान…
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75 की दहलीज पर हमारा संविधान

आलेख : बृंदा करात, अनुवाद : संजय पराते 75 साल की दहलीज पर हमारा संविधान चर्चा का विषय बना हुआ है। संसदीय बहसों में, चुनावों में एक मुद्दे के रूप में और विभिन्न दलों के राजनीतिक नेताओं के भाषणों में, यह बहस का केंद्रीय बिंदु है। यह संविधान का मसौदा तैयार करने वाले संस्थापक सदस्यों के लिए एक…
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कहां फंसी है महाराष्ट्र के चुनावी नतीजों की पेंच?

 महेंद्र मिश्र चुनाव कवरेज के दौरान जब मैं नागपुर में था तो एक वरिष्ठ पत्रकार ने कहा कि महाविकास अघाड़ी और महायुति के बीच अंतर तो क्रमश: 60 और 40 का है और अगर इतना नहीं तो 55 और 45 का निश्चित रूप से है। लेकिन सरकार-प्रशासन, चुनाव आयोग और दूसरी रहस्यमय शक्तियों के दखल के बाद कोई भी नतीजा आ…
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जनतंत्र की सौतेली मां!

 राजेन्द्र शर्मा इस बार के चुनाव में और खासतौर पर महाराष्ट्र के चुनाव में जितना पैसा बहाया गया है, इससे पहले कभी नहीं बहाया गया था। चुनाव आयोग द्वारा चुनाव प्रक्रिया के दौरान, पिछले चुनाव के मुकाबले सात गुना ज्यादा पैसा पकड़ा जाना इसी की ओर इशारा करता है। महाराष्ट्र की राजनीति के जानकार, एक…
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बुलडोज़र गाथा

आलेख : संजीव कुमार इंडियन एक्सप्रेस (18 नवंबर, 2024) में सुहास पलसीकर लिखते हैं : "हमारे लोकतंत्र के साथ जो गड़बड़ी है, बुलडोज़र उसका एक अभिलक्षण है। अदालत ने आख़िरकार भौतिक बुलडोज़र पर ग़ौर फ़रमाया है और इसके ग़ैर-क़ानूनी इस्तेमाल को रोकने की कोशिश की है। लेकिन अवधारणा और विचारधारा के स्तर पर बुलडोज़र अभी…
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अयोध्या विवाद : किन्हें, क्यों और कैसे याद आएंगे चंद्रचूड़?

आलेख : कृष्ण प्रताप सिंह देश के 50वें चीफ जस्टिस न्यायमूर्ति धनंजय यशवंत (डीवाई) चंद्रचूड़ अंततः इस ‘चिंता’ के साथ सेवानिवृत्त हो गए कि क्या पता, भावी इतिहास (उनके द्वारा जस्टिस व चीफ जस्टिस के तौर पर निभाई गई भूमिका के लिए) उन्हें किस रूप में याद करेगा। यों, होना यह चाहिए था कि अपनी इस चिंता…
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हंगामा क्यों बरपा, सरकार ही तो बनाई-गिराई है!

राजेंद्र शर्मा के चार व्यंग्य भई अडानी जी के साथ तो बहुत ही अन्याय हो रहा है। पहले भी बेबात उनके नाम पर हल्ला होता रहता था। बेचारे हवाई अड्डा खरीदें, तो इसका शोर कि सारे हवाई अड्डे अडानी के नाम क्यों कर दिए। बंदरगाह खरीदें, तो इस पर शोर कि सारे बंदरगाह एक ही बंदे के नाम क्यों कर दिए। बंदा…
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व्हाइट हाउस में जचकी उधर और सोहर का शोर इधर

आलेख : बादल सरोज इस बार 5 नवम्बर को सभी को चौंकाते हुए, जो आदमी, अमरीका के राष्ट्रपति का चुनाव जीता है, यह निर्लज्ज नस्लवादी, अंग्रेजी में बोले तो रेसिस्ट बन्दा है और जैसा कि नियम है, इस तरह के लोग विकृत – परवर्ट - और हर मामले में हर तरह से भ्रष्ट – करप्ट - होते हैं, यह बन्दा व्यक्तिगत जीवन…
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अडानी साम्राज्य: इसे कहते हैं क्रोनी कैपिटलिज़्म 

लेखकद्वय : परंजॉय गुहा ठाकुरता और आयुष जोशी, अनुवाद : संजय पराते अडानी को लेकर श्रीलंका में राजनीतिक बवाल श्रीलंका की नवनिर्वाचित वामपंथी सरकार ने राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके के नेतृत्व में भारत के दक्षिण में स्थित इस द्वीप राष्ट्र में पिछली सरकार द्वारा अडानी समूह को दी गई 44 करोड़…
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मोदी राज में अडानी के साम्राज्य विस्तार की कहानी 

लेखकद्वय : परंजॉय गुहा ठाकुरता और आयुष जोशी, अनुवाद : संजय पराते भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कूटनीतिक कदमों ने उद्योगपति गौतम अडानी को बंदरगाहों, हवाई अड्डों, बिजली, कोयला खनन और हथियारों के क्षेत्र में अपने अंतर्राष्ट्रीय व्यापारिक हितों का विस्तार करने में मदद की है। 2015 की शुरुआत…
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