सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जों पर एक्शन में मान सरकार
बड़ा सवाल, दबंगों के कब्जों से मुक्त हो पाएगी हजारों एकड़ पंचायती जमीन?
सुमित्रा, चंडीगढ़।
सरकारी जमीन पर अवैध कब्जे को लोग शायद अपना अधिकार मानने लगे हैं। सरकारों की उदासीनता की वजह से भी अवैध कब्जाधारकों (Illegal occupants) का हौसले बढ़े हैं। यही वजह है कि पंचायतों की हजारों एकड़ जमीन पर आज गांवों में दबंगों का कब्जा है। इस मुद्दे पर न कभी अकाली-भाजपा गठबंधन सरकार ने कभी ध्यान दिया और न कांग्रेस सरकार (Congress Government) ही अवैध कब्जे छुड़ाने को लेकर कभी गंभीर हुई। वोट बैंक के नाराज होने के डर से ही शायद सरकारों का यह रवैया रहा होगा। लेकिन कब तक ऐसा चल सकता है? जमीन पंचायतों की और आमदनी रसूखदार लोगों की, यह कैसे जारी रह सकता है?
आम आदमी पार्टी (आप) ने पंजाब की सत्ता संभालने के बाद पंचायत की जमीन से अवैध कब्जे हटाने की मुहिम चलाने का निर्णय लिया है। इस मुहिम को गांव के उन लोगों का लगातार समर्थन मिल रहा है, जो नेक नियति से काम करने के पक्षधर हैं। इसी वजह से भगवंत मान सरकार को अपने इस अभियान में कामयाबी भी मिल रही है। अब तक सैकड़ों एकड़ जमीन दबंगों के कब्जे से मुक्त करवाई जा चुकी है।
यह भी किसी से छुपा नहीं है कि जब भी सरकार अवैध कब्जे हटाने के लिए कोई अभियान शुरु करती है, लोग इसमें रोड़े अटकाने के लिए अदालत में याचिका दायर करने से नहीं चूकते। इसका मकसद मुहिम को फेल करना और मामले को जितना संभव हो सके, लटकाना है। अदालतों में मामले लंबे खिंचते हैं और ऐसी मुहिम अक्सर पंचर हो जाती हैं। समय बीतने के साथ सरकारी जमीन पर दबंगों के कब्जे बरकरार रहते हैं।
हाल ही में इसी मुहिम के तहत पंजाब के ग्रामीण विकास व पंचायत मंत्री लालजीत सिंह भुल्लर ट्रैक्टर पर चढ़ गए। उन्होंने खुद ट्रैक्टर चला कर सूंडरां गांव की करीब 100 एकड़ पंचायती जमीन से अवैध कब्जे हटा दिए। साथ ही भुल्लर ने चेतावनी दी कि मुक्त करवाई गई जमीन पर अगर फिर से किसी ने कब्जे की कोशिश की तो उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करवा कर कार्रवाई की जाएगी। भुल्लर का यह भी दावा है कि अवैध कब्जे की एक-एक इंच जमीन को सरकार वापस लेगी। मुक्त करवाई गई जमीन पर गांव के ही लोगों ने अवैध तरीके से कब्जा जमाया हुआ था। अवैध कब्जा हटाने की इस कार्रवाई के दौरान जिला प्रशासन के अफसर भी मौके पर मौजूद थे।
सूंडरां गांव की 12 एकड़ जमीन पर अभी भी अदालत की तरफ से स्थगन आदेश हैं। भुल्लर ने अफ्रसरों को आदेश दिए हैं कि पंचायती विभाग का हक हासिल करने के लिए इस मामले की अदालत में ठीक से पैरवी करें। यह जमीन रिहायशी और औद्योगिक क्षेत्र के तहत आती है और इसकी कीमत करोड़ों रुपए है। भुल्लर ने बताया कि पंजाब में अब तक 12 हजार 100 एकड़ जमीन अवैध कब्जों से छुड़वा कर ग्राम पंचायतों को सौंपी जा चुकी है। इस जमीन को स्थानीय लोगों को ठेकों पर दे कर पंचायतों की आमदनी बढ़ाई जाएगी।
भुल्लर का कहना है कि पंचायती जमीनों को अवैध कब्जों से 100 फीसदी मुक्त किया जाएगा। जब तक नाजायज कब्जे नहीं हटेंगे, कार्रवाई जारी रहेगी। अफसरों से उन्होंने कहा है कि अगर नाजायज कब्जे करने वालों के साथ उनकी मिलीभगत पाई गई तो उनसे सख्ती से निपटा जाएगा। उन्होंने जोर दे कर कहा कि अगर किसी ने दोबारा से पंचायती जमीन पर नाजायज कब्जा करने के प्रयास किए तो उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
इससे पहले पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने चंडीगढ़ से साथ लगे मुल्लांपुर की 300 करोड़ रुपए कीमत की पंचायती जमीन से अवैध कब्जा छुड़वाए थे। पंचायत की इस 2,828 एकड़ जमीन पर लंबे समय से रसूखदार लोगों का कब्जा चला आ रहा था। इस जमीन पर 50 करोड़ रुपए की कीमत के खैर के पेड़ भी लगे हुए हैं। जमीन पर 15 लोग अवैध रूप से काबिज थे।
पंचायती जमीन से अवैध कब्जे छुड़वाने के लिए जब मुख्यमंत्री मान ने खुद मुल्लांपुर में रेड की तो पंचायत व ग्रामीण विकास मंत्री कुलदीप धालीवाल उस समय भी उनके साथ थे। जिन लोगों का जमीन पर कब्जा था, उनमें संगरूर के सांसद सिमरनजीत सिंह मान के बेटे ईमान सिंह मान (125 एकड़), मान की बेटी-दामाद और पूर्व मंत्री गुरप्रीत कांगड़ शामिल बताए गए हैं।
मान का कहना है कि अवैध कब्जे के छुड़ाई गई जमीन में से 250 एकड़ मैदानी इलाका है, जबकि 2,500 एकड़ पहाड़ी क्षेत्र है। अदालत ने इस जमीन को लेकर फैसला सरकार के हक में दिया हुआ है। पिछले कुछ समय से चलाए जा रहे अभियान के तहत अब तक 9 हजार 53 एकड़ जमीन से अवैध कब्जा छुड़ाया जा चुका है। इस जमीन पर अब सरकारी प्रॉपर्टी के बोर्ड भी लग गए हैं।
यह जमीन अब पंचायत को दे दी गई है। पंचायतें अपना राजस्व बढ़ाने के लिए जैसा चाहें इस जमीन का इस्तेमाल कर सकती हैं। मान ने भी चेतावनी दी है कि अगर किसी ने इस जमीन पर अवैध कब्जा करने की कोशिश की तो उनके खिलाफ सख्त कानूनी करवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि दूसरे जिलों में भी पंचायती जमीन से अवैध कब्जे छुड़ाने का अभियान इसी तरह जारी रहेगा।
अपने खुद के पैतृक गांव सजौत में लोगों ने मुख्यमंत्री मान के आग्रह पर दस एकड़ पंचायती जमीन से अवैध कब्जा छोड़ दिया है। मुख्यमंत्री के आग्रह पर सजौत गांव के लोगों ने फ़ौरन ही पंचायती जमीन खाली कर दी। मुख्यमंत्री का गांव उनके चुनाव क्षेत्र सुनाम के तहत आता है। गांव में अभी भी पांच एकड़ जमीन ऐसी है, जो अवैध कब्जे में है। लोगों ने कहा है कि वे अपने गांव के बेटे भगवंत मान के आग्रह का सम्मान करते हैं और बाकी बची पांच एकड़ जमीन को भी जल्दी ही कब्जा मुक्त कर दिया जाएगा। मान मुख्यमंत्री बनने के बाद जब पहली बार अपने पैतृक गांव गए थे। तब उन्होंने लोगों से पंचायती जमीन से अवैध कब्जे छोड़ने की अपील की थी।
सजौत गांव के सरपंच चरण सिंह ने कहा कि इस जमीन पर पिछले कई दशकों से कब्जा था। अवैध कब्जे के चलते गांव को कोई आमदनी नहीं हो रही थी। जमीन को पंचायत को सौंपने के बाद गांव के लिए आय के द्वार खुलेंगे और जरूरी विकास कार्यों के लिए ग्रांट पर निर्भरता भी कम होगी। पंचायती जमीन की नीलामी कराने का भी निर्णय लिया गया है। वीडियोग्राफी के जरिए इस प्रक्रिया को पूरी तरह से पारदर्शी बनाया जाएगा।
पंचायती जमीन के मामले में रिटायर होने से एक दिन पहले अफसर का कमाल!
अफसर भी कम नहीं हैं। रिटायर होने से एक दिन पहले भी कोई अफसर कमाल दिखा सकता है, यह पंजाब के जिला विकास व पंचायत अफसर (डीडीपीओ) ने साबित भी कर दिखाया। डीडीपीओ कुलदीप सिंह ने रिटायर होने से एक दिन पहले पठानकोट में पंचायत की 734 कनाल एक मरला जमीन का फैसला लोगों के हक में दे दिया। इस मामले में विजिलेंस ब्यूरो ने कुलदीप सिंह सहित सात अन्य लोगों के खिलाफ केस दर्ज करते हुए दो महिलाओं इंद्रदीप कौर और भारती बंटी को गिरफ्तार कर लिया। वीणा परमार, तरसेम रानी, बलविंदर कौर, मंजीत कौर और परवीण कुमारी को भी इस मामले में आरोपी बनाया गया।
विजिलेंस ब्यूरो ने सभी आरोपियों के खिलाफ धोखाधड़ी, साजिश रचने और भ्र्ष्टाचार निरोधी धाराओं के तहत अमृतसर थाने में मामला दर्ज किया है। कुलदीप सिंह के पास पठानकोट जिले के डीडीपीओ का चार्ज था। उन्होंने वीणा परमार व अन्य मामले में पठानकोट जिले के नरोट जैमल सिंह ब्लॉक के गोल गांव की पंचायत जमीन को लेकर अपना फैसला पंचायत के खिलाफ सुनाया था। इस फैसले की वजह से पंचायत की 734 कनाल व एक मरला जमीन निजी लोगों के नाम तब्दील कर दी गई।
इस फैसले की जानकारी मिलने के बाद गांव के सरपंच सुनील कुमार ने पंजाब के ग्रामीण विकास व पंचायत मंत्री से शिकायत की। शिकायत की कॉपी मुख्यमंत्री भगवंत मान और राज्य के मुख्य सचिव को भी भेजी गई थी। जब मामले की जांच कराई गई तो सच सामने आ गया। पंचायत निदेशक ने डीडीपीओ के फैसले पर रोक लगा दी और यह मामला विजिलेंस ब्यूरो के पास भेज दिया गया।