किसानों की समस्या का समाधान कराने की मांग

देहरादून। उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष करन माहरा (Karan Mahra) ने उत्तराखंड राज्य की किसान मंडियों में धान की तौल में बरती जा रही अनियमितता एवं किसानों ( Farmers) को हो रही परेशानी के खिलाफ आक्रोष व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पत्र लिखकर किसानों को हो रही समस्याओं का समाधान (solution) कराये जाने की मांग की है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी  (Chief Minister Pushkar Singh Dhami) को लिखे पत्र में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि सत्र 2023-24 की धान खरीद का सिलसिला शुरू हो चुका है तथा प्रदेशभर के किसानों द्वारा अपनी कमरतोड़ मेहनत से तैयार फसल प्रदेश की विभिन्न मंडियों में विक्रय हेतु लाई जा जानी प्रारम्भ हो चुकी है, परन्तु प्रदेश सरकार द्वारा प्रदेशभर की मंडियों में निर्धारित धान खरीद केन्द्रों पर धान की तौल सुचारू रूप से न होने के कारण किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है जिसके चलते प्रदेशभर के किसान आन्दोलित हैं।

उन्होंने  कहा कि इसी संदर्भ में किसानों द्वारा दिनांक 16 अक्टूबर, 2023 को नवीन मंडी सितारगंज जिला उधमसिंहनगर में सांकेतिक धरना-प्रदर्शन आयोजित किया गया जिसमें स्वयं उन्होंने प्रतिभाग किया। धरना-प्रदर्शन कार्यक्रम में बडी संख्या में उपस्थित किसानों द्वारा धान खरीद केन्द्रों में धान की तौल में बरती जा रही अनियमितता एवं हीला-हवाली के साथ ही धान की तौल सुचारू न किये जाने पर आक्रोष व्यक्त करते हुए सरकार से किसानों की समस्याओं का समाधान कराये जाने की मांग की गई।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने यह भी कहा कि धान किसानों द्वारा इस बात पर भी नाराजगी व्यक्त की गई कि स्थानीय आढ़तियों द्वारा धान में नमी होने का हवाला देते हुए तौल में 15 प्रतिशत की कटौती की जा रही है साथ ही कच्चा आढतियों एवं धान मिलों द्वारा निर्धारित दामों से कम दामों में धान की खरीद की जा रही है जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ रहा है जो कि न्याय संगत प्रतीत नहीं होता है।
करन माहरा ने भाजपा सरकार पर यह भी आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा के शासन में सबसे अधिक उत्पीड़न किसानों का हो रहा है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार द्वारा संसद के दोनों सदनों में संख्याबल के आधार पर संसदीय प्रणाली व प्रजातंत्र को धता बताते हुए किसान विरोधी तीन काले कानून पारित किए गए। देश भर में 62 करोड़ किसान-मजदूर व 250 से अधिक किसान संगठन इन काले कानूनों के खिलाफ लगातार दो साल से आवाज उठाते रहे तथा कई किसानों को अपना सर्वस्व न्यौछावर करना पड़ा।

सरकार द्वारा अन्नदाता किसान की बात सुनना तो दूर, संसद में उनके नुमाईंदो की आवाज को दबाने तथा सत्ता के बल पर सड़क पर आन्दोलनरत किसानों को गाडी से कुचल कर निर्मम हत्या जैसे जघन्य अपराध किये गये। जिसके बाद कांग्रेस पार्टी सहित विपक्ष के भारी जन दबाव में सरकार को काले कानून वापस लेने पड़े।

उन्होंने कहा कि एक तरफ मोदी सरकार किसानों की आय दुगनी करने के बड़े-बडे ढोल पीटती है परन्तु अभी तक केन्द्र की मोदी सरकार ने किसानों को उनकी फसलों के उचित दाम देने के लिए एम.एस.पी. लागू करने की मांग नहीं मानी है। उन्होंने कहा कि यदि 2024 में केंद्र में कांग्रेस पार्टी की सरकार बनती है तो किसान हित में एम.एस.पी. प्राथमिकता से लागू की जायेगी।
करन माहरा ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से यह भी मांग की है कि प्रदेशभर में आई आंधी तूफान से किसानों की फसलों को भारी नुकसान हुआ है जिसका उन्हें उचित मुआवजा दिया जाना चाहिए।

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