सुधि पाठकों,
प्रणाम
सबसे पहले ‘चाणक्य मंत्र’ के भरोसेमंद पाठकों, लेखकों, हाॅकरों एवं विज्ञापनदाताओं को ढेर सारी शुभकामनाएं। कोरोना महामारी में भी यह पत्रिका तमाम कठिनाइयों के बावजूद निरंतर प्रकाशित होती रही जिसमें आप सभी का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। कोरोना महामारी के इस दौर में भी आपका निरंतर सहयोग मिलना हमारे लिए सबसे बड़ी पूंजी है।
कोरोना-19 की वजह से कई मर्तबा पत्रिका निर्धारित तिथि से दो चार दिन देर भी हुई लेकिन पाठकों ने हालात को समझा और पूरा-पूरा सहयोग दिया। कठिन दौर में दफ्तर में बजने वाली फोन की घंटियां इस बात की सबूत हैं। इससे ‘चाणक्य मंत्र’ की टीम का हौसला भी बढ़ता रहा। ऐसे पाठकों और शुभचिंतकों को बार-बार शुक्रिया अदा करने में भी कोई कंजूसी नहीं करनी चाहिए। क्योंकि इन पाठकों के भरोसे ही यह पत्रिका लंबा सफर तय करते आ रही है।
कोरोना संक्रमण के दौरान शीर्ष मीडिया घरानों ने पत्र पत्रिकाओं के पेज कम कर दिए। इतना ही नहीं, दाम भी बढ़ाए। कर्मचारियों के वेतन में कटौती भी की गई। पर इस कठिन दौर में भी चाणक्य मंत्र का प्रकाशन लगातार हो रहा है। कठिन हालात में पत्रिका अपने कलेवर और तेवर को बरकरार रखते हुए अपने मिशन में जुटी हुई है। इसे ही तो भरोसा कहा जाता है। यह सब कुछ पाठकों के अपार स्नेह के बदौलत ही हो पाया है। खास बात यह है कि इस संक्रमण काल में पत्रिका का दायरा भी बढ़ा है। देश के दूरदराज क्षेत्रों से पाठकों के पत्र भी लगातार आ रहे हैं। स्थानाभाव की वजह से पत्रों को हम फिलहाल प्रकाशित नहीं कर पा रहे हैं।
लेकिन जल्द ही भविष्य में आने वाले पत्रों को हम प्रकाशित भी करेंगे। इस संक्रमण काल में पत्रिका ने कलम के धनी अपने तीन पत्रकार साथियों वरिष्ठ पत्रकार राजीव कटारा, डीके प्रजापति और कृष्ण किसलय को भी खोया है। हम उम्मीद करते हैं कि जल्द ही पूरा देश कोरोना संक्रमण की गिरफ्त से मुक्त होगा। खुशहाली का दौर शुरू होगा। साथ ही, देश की अर्थव्यवस्था भी पटरी पर लौट आएगी। कोरोना महामारी की वजह से करोड़ों लोगों की या तो नौकरियां खत्म हो गयी हैं या फिर उनके वेतन को संस्थान ने कम कर दिया है। दिहाड़ी मजदूरों को भी काफी चोट लगी है। निश्चित रूप से कोरोना संकट का काल खत्म होगा।
आपको बता दें कि दुख के बाद सुख का ही आगमन होता है। हम सभी ने कष्ट के दिन काट लिए हैं। अब जल्द ही अच्छे दिन आएंगे। लेकिन हमें कोरोना से बचाव के लिए उन सभी सुरक्षा के उपायों पर सख्ती के साथ अमल में लाना होगा। क्योंकि कोरोना से बचाव को लेकर सरकार ने जो भी गाइडलाइंस जैसे मास्क पहनना और भीड़ में शामिल नहीं होना आदि जारी किया है, उस पर हर हाल में अमल करना होगा। क्योंकि यदि हम कोरोना का खात्मा चाहते हैं तो हमें कोरोना से बचाव के लिए सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन तो हर हाल में करना पड़ेगा।
पत्रिका की भी अपील है कि मास्क जरूर पहनें और वैक्सीन अवश्य लगाएं, ताकि देश-दुनिया में कहर मचाने वाले कोरोना महामारी को भगाया जा सके। इसके लिए हमें खुद से ही पहल करनी होगी। हां, आपको यह भी बता दें, संभवतः आप अवगत भी होंगे कि ‘चाणक्य मंत्र’ का पोर्टल भी शुरू किया गया है। इससे भी लोग पत्रिका की तरह जुड़ रहे हैं। यदि हिम्मत से काम लिया जाए तो इंसान जोखिम भरे परिस्थितियों में भी बेहतर काम कर सकता है। ठीक है, कोरोना महामारी का दौर है। इसमें नया कुछ भी करना आकाश कुसुम जैसा कठिन कार्य दिखता जरूर है लेकिन इरादा नेक हो तो बंजर भूमि में भी फसल लहलहा सकती है। इसलिए मन को बड़ा कीजिए। ‘चाणक्य मंत्र’ आपके साथ खड़ा है। हम मिल जुल कर देश-प्रदेश के लिए बढ़िया काम करेंगे। क्योंकि हमारा इरादा पक्का है, मंजिल भी तय है और साथ में आपका विश्वास भी है। फिर आप ही सोचिए हमें अपने पथ से कौन डिगा सकता है।
एक बार फिर इन शुभकामनाओं के साथ कि आने वाला कल खुशियों भरा होगा और आपकी यह प्यारी पत्रिका ज्यादा से ज्यादा सकारात्मक सोच के साथ आपके ज्ञानवर्द्धन के लिए दलगत राजनीति से परे समय, सत्ता और संघर्ष के पथ पर आप सबका मार्गदर्शन करती रहेगी। हां, पर आपसे यह भी उम्मीद रहेगी कि आप पत्रिका की खूबियों और खामियों से पूर्व की तरह ही हमें अवगत भी कराते रहेंगे।
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